Friday, 13 February 2015

चुदाई का कारनामा. -hindi sex stories

हेल्लो प्यारे पढने वालों

मैं आप की चहेती सेक्सी जूली, पेश करती हूँ अपना एक और चुदाई का कारनामा.

ये भाग मुझे पहले लिखना चाहिए था क्यों की इस के बाद की दास्तान मैं पहले ही लिख चुकी हूँ. खैर कोई बात नहीं. मैं जानती हूँ की जब भी लिखूंगी, आप लोगों को पसंद आएगा.

कभी कभी तो मुझे हंसी आ जाती है ये सोच कर के की मेरी तो चुदाई होती है और आप लोग मेरी चुदाई का मज़ा लेते है.

मैं कभी भी सच लिखने से पीछे नहीं हटी हूँ भले ही वो सच कितना ही कड़वा हो.

मैं जानती हूँ की बहुत सी लड़कियां होगी जो मेरी तरह चुदाई करवाती है पर कोई भी लड़की अपनी चुदाई की बात को शेयर नहीं करती. मैंने मेरी चुदाई की बात को शेयर किया है और करती रहूंगी.

अब आती हूँ असली कहानी पर ...... मज़ा लीजिये .......

अपनी पढाई पूरी करने के बाद मैं बिज़नस में पूरी तरह अपने पापा और चाचा का

साथ दे रही थी. आप जानते है की मैं जब कॉलेज में थी, तभी से ही बिज़नस में

इंटेरेस्ट लेने लगी थी और मेरी पढाई ख़तम होते होते मैं हमारे products के

मार्केटिंग के काम में बहुत होशियार हो गई थी. मैंने विदेश का सफ़र कई बार

किया है और अपने दम पर विदेश के लोगों से deal करती हूँ.

एक दिन जब मैं शाम को फार्म हाउस से घर वापस आई तो बहुत थकी हुई थी.

मेरे माता - पिता घर पर मेरा इन्रेज़ार कर रहे थे. मैंने उनके साथ चाय पी और

नहा कर फ्रेश होने के लिए अपने रूम में आ गई. मैंने अपने सभी कपडे उतारे

और नंगी हो कर बाथरूम में आ गई. आप जानते है की मैं बहुत सेक्सी हूँ और

इस लिए नहाते हुए मैं खुद को अपने हाथों से अपनी चूचियां मसलने से नहीं रोक

सकी. एक बार तो मैं अपना हाथ अपनी चूत पर भी ले गई पर तुरंत ही हटा लिया क्यों की मैं पहले ही बहुत थकी हुई थी. मैंने देखा की मेरी चूत पर बाल आने चालू हो गए थे. मैं हमेशा अपनी चूत साफ़ रखती हूँ.

चूत पर बाल मुझे पसंद नहीं है. मैंने रात को सोने से पहले अपनी चूत के बालों को साफ करने कि सोची. नहाने के द मैं बाहर आई और अपना सेक्सी गोरा बदन पूंछने के बाद फ्रेश ब्रा और चड्डी पहनी और आराम के लिए ऊपर से गाउन पहन लिया. मैंने चूत के बाल साफ़ करने की क्रीम तलाश की और उस को अपने पलंग की साइड टेबल पर रखा ताकि रात को उस का इस्तेमाल कर सकूँ. मैंने कुछ देर अपने रूम में ही T.V. देखा और रात का खाना अपने माता - पिता के साथ खाने के लिए नीचे आ गई. मेरे चोदु चाचा अभी तक घर नहीं आये थे और मेरे पापा ने बताया की वो देरी से आने वाले है.

खाना खाते हुए पापा ने कहा - जुली ! तुम या तुम्हारे चाचा को या दोनों को Italy जाना पड़ेगा. आज ही वहां से buyer का mail आया है की अगले season का बिज़नस discuss करने के लिए और final करने के लिए वो चाहते हैं की

कोई हमारे यहाँ से उन के पास जाये.

मैं बोली - ठीक है पापा . चाचा को आ जाने दो . हम कल decide करलेंगे.

पापा बोले - ठीक है . इतनी भी जल्दी नहीं है . टाइम है हमारे पास .

हम ने dinner ख़तम किया और बातें करने लगे . मेरे पापा ने note किया की मैं थकी हुई थी तो उन्होंने मुझे अपने रूम में जा कर आराम करने को और जल्दी सोने को कहा . जब मैं अपने रूम में जाने के लिए उठी तो मैंने देखा की चाचा की कार हमारे घर के compound के अन्दर आ रही थी . मैंने सब को good night कहा और अपने रूम में आ गई . मैंने अपना रूम अन्दर से बंद किया और साथ ही बाथरूम भी अपने रूम की तरफ से बंद किया . ( आप को तो पता ही है की मेरे और मेरे माता - पिता के रूम के बीच में common बाथरूम है ) मैंने अपना गाउन उतारा और अपनी ब्रा और चड्डी भी उतारी , एक टॉवेल और कुछ tissue पेपर ले कर अपने पलंग पर आ गई . पीछे तकिया लगा कर , अपने पैर मोड़ कर के चौड़े किये ताकि मैं आराम से बैठी हुई अपनी चूत के बालों पर cream लगा कर साफ़ कर सकूँ . मैंने अपनी गांड ऊपर करके टॉवेल को अपनी गांड के नीचे रखा और अपनी चूत के बालों पर cream लगाई . अब मुझे थोड़ी देर यूं ही बैठना था ताकि बाल सफा cream अपना काम कर सके . अपनी चूत पर cream लगाने के बाद मैंने अपने पैरों को फैली position में ही सीधा किया , पलंग के पीछे तकिये पर सिर टिका कर अधलेटी position में आ गई . मैं बहुत थकी हुई थी इस लिए जल्दी ही मेरी आँख लग गई . मेरी चूत पर बाल सफा cream लगी हुई थी और मैं उस को साफ़ किये बिना ही सो गई थी .

थोड़े समय के बाद मेरी आँख खुली . रूम की lights on थी , शायद इस लिए मेरी आँख खुल गई थी . मैंने घड़ी देखी तो उस समय 11.00 बजे थे . मैं आधे घंटे सोयी थी . मैंने tissue पेपर लिया और अपनी चूत से cream साफ़ करने लगी . Cream के साथ बाल भी साफ़ हो गए और मेरी चूत फिर से चिकनी हो गई थी . खड़ी हो कर मैं बाथरूम गई , बाथरूम के अन्दर जा कर सबसे पहले अन्दर से अपने माँ बाप के रूम की तरफ खुलने वाला बाथरूम का दरवाजा अन्दर से बंद किया और tissue पेपर flush करने के बाद अपनी चिकनी चूत को पानी से धो कर cream पूरी तरह साफ़ की . मेरी रेशमी चूत अब चमक रही थी . मैंने माँ बाप की तरफ खुलने वाले बाथरूम के दरवाजे की कुण्डी फिर से खोली और अपने रूम में आ कर बाथरूम की लाइट बंद करते हुए उसे अपनी तरफ से lock किया . मैंने टॉवेल से अपनी गीली चूत साफ़ की , रूम की लाइट off की और आदत के मुताबिक नंगी ही पलंग पर सोने की कोशिश करने लगी . एक बार आँख खुलने की वाजाह से दोबारा नींद जल्दी नही आई पर मैं आंखें बन्द किए सोने की कोशिश करने लगी .

थोड़ी देर बाद मैने अपने मा बाप के रूम से आती हुई कुछ आवाज सुनी . मुझे पता चल गया की वहां उन के बीच जरूर चुदाई हो रही थी . ( आप जानते ही है की मैंने अपने माँ बाप को चुदाई करते हुए कई बार देखा है और मैंने चुदाई का पहला पाठ उन की चुदाई देख कर ही सीखा था . )

एक बार तो मैंने सोचा की करने दो उन को अपनी चुदाई , पर क्यों की मुझे नींद नहीं आ रही थी और मुझे हमेशा अपनी माँ को चुदवाते और पापा को चोदते हुए देखने में बहुत मज़ा आता है , मैं बिस्तर से नीचे आ गई और अपनी किस्मत आजमाने की सोची की शायद उन की तरफ का बाथरूम का दरवाजा खुला हो ताकि मैं उन की चुदाई का मज़ा ले सकूँ .

बिना लाइट चालू किये मैं बाथरूम में आई और उन के दरवाजे की knob घुमाई तो मैं बहुत खुश हो गई . कितनी lucky थी मैं . दरवाजा उन की तरफ से lock नहीं था . मैंने धीरे से , बिना आवाज किये करीब एक इंच दरवाजे को खोला , जो की मैं हमेशा उन को चुदाई करते हुए देखने के लिए करती हूँ . हमेशा की तरह उस दिन भी उन के रूम की लाइट on थी . मेरी तरह मेरे माँ बाप भी लाइट on रख कर चुदाई का मज़ा लेते थे .

मैं तो नंगी थी ही , मैंने देखा की मेरी माँ और पापा भी पूरी तरह नंगे थे . मेरी माँ study table के कोने पर बैठी हुई थी और उन के पैर मेरे पापा की नंगी कमर को पकड़े थे . वो ऐसी position में थे की मैं बाथरूम

से न तो माँ की चूत देख पा रही थी और न ही पापा का लंड देख पा रही थी . जो मैं देख सकती थी , वो थी माँ की चूचियां और पापा की गांड . पापा ने माँ के दोनों पैर अपने हाथों से पकड़े हुए थे और उन का लंड मेरी माँ की चूत में था . मैं बहुत खुश होती हूँ ये जान कर की मेरे माँ बाप एक सफल और चुदाई से भरी जिन्दगी जी रहे थे . पापा करीब 50 साल के और माँ करीब 45 साल की होने के बावजूद भी वो इतनी शानदार चुदाई अलग अलग position में करते थे जिस से उनके इस उम्र में भी चुदक्कड़ होने का पता चलता था . वो आपस में चुम्बन ले रहे थे और माँ के दोनों हाथ पीछे टेबल पर support ले रहे थे . उन्होंने चुम्बन ख़तम किया तो पापा सीधे खड़े हो गए . वो माँ के पैर अभी भी पकड़े हुए थे और अब पापा ने अपने लंड से माँ की चूत में धक्के मारने शुरू कर दिए थे . पापा के लंड के , माँ की चूत में हर धक्के के साथ मेरी माँ की चूचियां ऊपर नीचे नाच रही थी . वो दोनों आपस में धीरे धीरे बोल रहे थे जो मैं सुन नहीं पाई . शायद वो सेक्सी बातें ही कर रहे होंगे .

बे ध्यानी में ही मेरा हाथ अपनी अभी अभी साफ़ की हुई चिकनी चूत पर चला गया . मेरी उँगलियों को पता चल गया की मेरी चूत गीली हो रही थी . ये असर था अपने माँ बाप की चुदाई देखने का . मैंने पूरा पूरा ध्यान रखा की कोई आवाज न होने पाए . मैं अपनी चूत पर धीरे धीरे हाथ फिरा रही थी क्यों की मैं जानती थी की जोर जोर से चूत में ऊँगली करने से मैं जल्दी ही झर सकती थी जिसकी वजह से मेरे मुंह से आवाज निकल सकती थी . मैं धीरे धीरे अपनी चूत को मसल रही थी . वहां , पापा अब जोर जोर से मेरी माँ को चोदने लगे थे . माँ की चूचियां भी तेजी से पापा के हर धक्के के साथ नाच रही थी . मेरे लिए हमेशा ही अपने माँ बाप की चुदाई देखना मजेदार रहा है और आज मैं फिर वही काम कर रही थी . और सब से खास बात ये है की मैं कभी भी ऐसा करते पकड़ी नहीं गयी थी , ये बहुत संतोष की बात है . चाचा से चुदवाते हुए भी मैं कभी भी नहीं पकड़ी गयी थी . मैं चुदाई करवाते हुए या चुदाई देखने के समय हमेशा ये ध्यान और सावधानी रखती हूँ की पकड़ी न जाऊं .

वहां मेरी माँ चुदी जा रही थी और यहाँ मुझे मज़ा आ रहा था .

पापा ने माँ को चोदने की रफ़्तार बढ़ा दी थी और माँ की आँखें आनंद के कारण बंद हो रही थी . माँ की बड़ी बड़ी चूचियां उछल रही थी , नाच रही थी और पापा माँ को अपने लंड से चोदे जा रहे थे ........ चोदे जा रहे थे ..... तेजी से चोदे जा रहे थे .

मेरी माँ चुद रही थी और मैं देख रही थी अपनी माँ को चुदते हुए .

मेरे चुदक्कड़ पापा मेरी चुदक्कड़ माँ को चोदते जा रहे थे और मैं , उनकी चुदक्कड़ बेटी उन की चुदाई देख रही थी . अब पापा के चोदने की रफ़्तार लिमिट क्रोस कर चुकी थी और मुझे पता चल गया की उनका लंड मेरी माँ की चूत में पानी बरसाने वाला है .

और ना चाहते हुए भी , मुझे वहां से हटना पड़ा क्यों की अब अधिक देर वहां खड़े रहने में देख लिए जाने का खतरा था .

मैंने धीरे से , बिना आवाज किये बाथरूम का दरवाजा बंद किया और अपने रूम में आ गई . अपने रूम में आ कर बाथरूम अपनी तरफ से बंद कर लिया .

मैं काफी गरम और गीली हो चुकी थी. मुझे अब एक जोरदार चुदाई की जरूरत महसूस होने लगी थी. मेरे चाचा तो थे ही मेरी चुदाई की जरूरत पूरी करने के लिए. मैंने अपने नंगे बदन पर गाउन डाला और चाचा के बेडरूम की चाबी ले कर अपने रूम से बाहर आई ( मेरे रूम चाबी चाचा के पास और चाचा के रूम की चाबी मेरे पास रहती है ताकि हम एक दुसरे के पास जब भी जरूरत हो, चुदाई करने या चुदवाने के लिए पहुँच सकते है) चाचा का रूम मेरे रूम के सामने ही था . उनके रूम का दरवाजा बंद पा कर मैंने चाबी से उन के रूम का दरवाजा खोला और अन्दर पहुँच गई . चाचा अपने बिस्तर में सिर्फ चड्डी पहने हुए गहरी नींद में सो रहे थे . उन के बदन का ऊपरी हिस्सा नंगा था . रूम में night bulb की रौशनी में मैं सब देख पा रही थी . वो अपनी पीठ के बल सीधे सोये हुए थे और उनकी चड्डी उनके लंड के ऊपर सपाट थी जिसका मतलब था की उन का लंड खड़ा नहीं है , नरम है . मैंने दरवाजा अन्दर से बंद किया और ये सोचती हुई उन के बिस्तर की तरफ बढ़ी की कैसे शुरू किया जाए . एक बार तो मैंने सोचा की क्यों उनकी नींद ख़राब की जाये पर तुरंत ही मैंने अपने दिमाग से ये ख्याल निकाल दिया क्यों की मुझे तो एक जोरदार चुदाई की जरूरत थी , मुझे तो चुदवाना था . मैं बिस्तर पर उन के पास सो गई . मैंने अपना हाथ उनके नरम लंड की तरफ बढाया और उस को पकड़ लिया . उन का लंड बहुत ही मुलायम , बहुत ही नरम था , बिलकुल किसी बच्चे के लंड की तरह . मैंने धीरे धीरे उन के लंड पर चड्डी के ऊपर से ही हाथ फिराने लगी . जल्दी ही उन का लंड बड़ा होने लगा , फूलने लगा , जैसे गुब्बारे में हवा भर रही हो . मेरे हाथ लगाने से चाचा का लंड बड़ा हो कर खड़ा हो गया और कड़क हो गया था . चाचा अभी भी नींद में थे और शायद कोई चुदाई वाला सपना देख रहे थे जब मैंने उन के लंड को खड़ा कर दिया था . जल्दी ही उन की आँख खुल गयी , शायद मेरी पकड़ उन के लंड पर होने से .

मुझे देख कर वो बोले - अरे डार्लिंग ! मैं तुम्हारा ही सपना देख रहा था .

मैं बोली - और मैं सचमुच आप के पास हूँ .

चाचा मेरी तरफ घूम गए . मेरा गाउन मेरे घुटनों के ऊपर था और उन्होंने मेरे पैर से होते हुए अपना हाथ मेरी कमर तक घुमाया . उन को पता चल गया था की मैंने गोवन के नीचे कुछ नहीं पहना है . उन्होंने मेरे गाउन की गाँठ खोल कर उस को मेरे हाथों से बाहर निकाल कर उतार फेंका . अब मैं चाचा के सामने बिलकुल नंगी लेती थी और मेरी अभी अभी बाल साफ़ की हुई चिकनी चूत चाचा के सामने थी . मैंने भी चाचा की चड्डी उतार कर उनके लंड को आज़ाद कर दिया था . मेरे हाथ चाचा के बदन पर घूम रहे थे और चाचा के हाथ मेरे सेक्सी बदन पर फिर रहे थे . उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और हम दोनों के होंठ आपस में मिल गए . मेरी मुलायम जीभ को उन्होंने अपने मुह में ले कर चूसा . मैं तो और भी गरम हो चली थी . अपने नंगे बदन को मैं चाचा के नंगे बदन से रगड़ने लगी . चाचा का पूरी तरह तना हुआ , खड़ा हुआ , कड़क , गरम , लम्बा और मोटा लौड़ा किसी लोहे की rod की तरह , मेरे पैरों के बीच में से मेरी गांड को touch कर रहा था . मैं अपनी दोनों कड़क चूचियां चाचा की बालों भरी छाती पर रगड़ रही थी . मैं चाचा का लंड अपनी चिकनी चूत में लेने को बेक़रार थी . मैंने अपना हाथ नीचे कर के चाचा के लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर लगाया . उन के हाथ मेरे बदन पर घूमते हुए मेरी गोल गोल गांड पर पहुंचे और चाचा ने मेरी गांड को दबाया . उन की उँगलियाँ कई बार मेरी गांड के बीच की दरार में घूमी तो मैं और भी बेक़रार हो चली . चाचा समझ चुके थे की मैं जल्दी से जल्दी चुदवाना चाहती हूँ . उन्होंने मुझे थोड़ा ऊपर किया और मेरी चूची और निप्पल चूसने लगे . वो कुछ इस तरह से अपनी जीभ मेरी निप्पल पर घुमा रहे थे की मैं तो पागल सी हो गई थी . अब हम चुदाई करने की परफेक्ट पोजीसन में थे . मैंने फिर से अपना हाथ नीचे किया और चाचा के तने हुए लंड को पकड़ कर मेरी गीली चूत के दरवाजे पर रखा और अपनी गांड नीचे की . मैं चाचा के ऊपर सोई होने की वजह से सिर्फ उन के लंड का मुह ही मेरी चूत के अन्दर जा पाया . तब तक चाचा ने अपना चूची चुसाई का काम पूरा कर लिया और अब मैं चाचा के लंड पर बैठ गयी थी . मेरी चूत तो गीली थी ही , मेरे उन के लंड पर दो तीन बार उठने बैठने की वजह से चाचा का पूरे का पूरा लंड मेरी चूत के अन्दर चला गया . मजेदार चुदाई के लिए मैंने अपने दोनों हाथ पीछे कर के चाचा की जाँघों पर रख लिए ताकि उनका लम्बा लंड आराम से मेरी चूत में आ जा सके .

वो मेरी चूचियां मसल रहे थे और मैं उन के ऊपर , उनका लंड अपनी चूत में ले कर चुदाई के लिए तैयार थी .

चूत और लंड की अन्दर बाहर करके चुदाई करने के पहले मैंने चाचा को surprise दिया . मैंने चाचा के लंड को अपनी चूत में पकड़े हुए अपनी गांड को थोड़ा ऊपर हो कर गोल गोल घुमाया , किसी grinder की तरह . हे भगवान .... मैंने ऐसा पहली बार किया था और मुझे बड़ा मज़ा आया

मैं अपनी गांड गोल गोल घुमाते जा रही थी और उन का लंड मेरी चूत के अन्दर घूम रहा था . आप खुद समझ सकतें है की इस का क्या असर होता है . जब मैं अपनी गांड गोल गोल घुमा रही थी तब चाचा मेरी गांड को नीचे से पकड़ कर दबा रहे थे , मसल रहे थे . वो मेरा पूरा पूरा साथ दे रहे थे क्यों की उन को भी मज़ा आ रहा था . 10 / 15 बार अपनी गांड घुमाने के बाद अब मैं चुदवाना चाहती थी .

अब मैं अपनी गांड ऊपर नीचे कर रही थी और चाचा का लंड मेरी चूत में अन्दर बाहर होने लगा . चाचा भी पूरा support कर रहे थे अपनी गांड ऊपर नीचे करके . मैं जब अपनी गांड नीचे करती , चाचा अपनी गांड ऊपर करते और उन का लौड़ा मेरी चूत के काफी अन्दर तक पहुँच जाता . मैंने धीरे धीरे अपनी गांड ऊपर नीचे करनी शुरू की थी लेकिन मेरी रफ़्तार अपने आप बढती गई . मैं अपनी चूत का धक्का नीचे लगा रही थी और चाचा अपने लंड का धक्का अपनी गांड ऊपर कर के मेरी चूत में लगा रहे थे . मैंने देखा की मेरी दोनों चूचियां हर धक्के के साथ ऊपर नीचे हिल रही थी , नाच रही थी . अपनी खुद की चुचियों को इस तरह हिलते हुए देख कर मुझे एक बार फिर अपनी माँ की बड़ी बड़ी , नंगी चुचियों की याद आ गयी जो की पापा से चुदवाते समय नाच रही थी . हम दोनों अपनी अपनी गांड ऊपर नीचे करते हुए चुदाई में मगन थे .

मैं तो चाचा से चुदाई शुरू करने के पहले से गरम थी जब मैंने अपनी माँ को अपने पापा से चुदवाते हुए देखा था और मैंने अपनी चूत पर भी अपना हाथ काफी देर तक फिराया था , इसलिए मैं जल्दी ही अपनी मंजिल की तरफ , झड़ने की तरफ बढ़ने लगी थी . मेरे चाचा जानते थे की मैं बहुत जल्दी झड़ने वाली हूँ . वो नीचे से मुझे जोर जोर से चोदने लगे और मैं भी ऊपर से जोर जोर से चुदवाने लगी . हमारी चुदाई से रूम में चुदाई की आवाजें गूंजने लगी . चाचा का लम्बा , मोटा और कड़क लंड मेरी रसीली चूत में अन्दर बाहर होता हुआ " फचा फच .. फचा फच " की आवाज कर रहा था . मेरा तो ये मानना है की चुदाई का संगीत ही दुनिया का सबसे प्यारा संगीत है . मेरी गांड तेजी से ऊपर नीचे हो रही थी . मुझे पता था की चाचा के लंड का रस इतनी जल्दी नहीं निकलने वाला है , पर मेरा तो हो गया था . ओह चाचा ..... मेरा हो रहा है .... मैं तो गई ........ और मैं सचमुच गयी . मैं झड़ गई थी . बहुत ही जोर से झड़ी थी . मैं अपनी गांड चाचा की जांघों पर टिका कर उन के लंड को अपनी चूत में लिए बैठ गई थी . मैं अपनी चूत भींच भींच कर झड़ने का मज़ा ले रही थी और थोड़ी देर ऐसे ही आँखें बंद किये बैठी रही . क्या जोरदार चुदाई की थी चाचा ने . मैं कितनी खुश किश्मत हूँ की हर चुदाई में मैं कम से कम दो बार झडती हूँ . चाचा मेरी चूचियां मसल रहे थे . मैं जानती थी की चुदाई तो अभी और बाकी है , क्यों की चाचा के लंड का पानी निकलना अभी बाकी है .

मैं थक चुकी थी इस लिए मैं चाचा के ऊपर से नीचे उतर गई . चाचा का लंड , मेरी चूत के रस से गीला लंड , night bulb की रौशनी में चमक रहा था . चाचा ने एक बार फिर मेरे सेक्सी बदन पर हाथ फिराया और मुझे घुमने को कहा , अपनी तरफ पीठ करने को कहा . एक बार तो मैंने सोचा की चाचा आज मेरी गांड मारने वाले है . पर मुझे पता था की उन को गांड मरना पसंद नहीं है . इस का मतलब वो मेरी चिकनी चूत पीछे से चोदना चाहते थे .

मैं अपनी साइड पर , दूसरी तरफ मुह करके , चाचा की तरफ पीठ करके लेट गई . अपना ऊपर का पैर मैंने थोड़ा और ऊपर किया और चुदवाने की पोजीसन बनाई . चाचा ने अपना गीला कड़क लंड अपने हाथ से पकड़ कर मेरी चूत में पीछे से डाला . मेरी चूत भी गीली थी और चाचा का लंड भी गीला था इस लिए बिना ज्यादा दिक्कत के, दो तीन धक्कों में उनका लंड मेरी चूत में पीछे से घुस गया . चाचा ने मेरी चूचियां पकड़ी और अपने लंड को मेरी चूत में अन्दर बाहर करते हुए मुझे चोदने लगे . उन की गांड आगे पीछे हिल रही थी और उन के पैर मेरी नंगी गांड पर हर धक्के के साथ टकरा रहे थे . आप को तो पता है की हर पोजीसन में चुदवाने का अपना अलग मज़ा है . कुछ इसी तरह का मज़ा पीछे से चुदवाने में भी आता है . मैंने चाचा से चुदवाते हुए अपने माँ बाप के बारे में सोचा . वो दोनों एक जोरदार चुदाई के बाद सो गए होंगे पर ये नहीं जानते थे की उन की बेटी अब दुसरे रूम में अपने चाचा से चुदवा रही है . चाचा के गरमा गरम लंड के धक्के मेरी गरम और गीली चूत में लग रहे थे . और एक बार फिर वही , चुदाई का मधुर संगीत बजने लगा . चाचा का लम्बा लंड मेरी चूत में अन्दर बाहर हो रहा था और उनके दोनों पैर मेरे दोनों पैरों के बीच में थे . मैं चुदवाती हुई फिर से एक बार अपनी मंजिल पर पहुँचने के करीब थी और मैं भी अपनी गांड हिला हिला कर , आगे पीछे करके चुदाई में चाचा का साथ दे रही थी . मेरा दूसरी बार होने वाला था . चुदवाते हुए मैंने चाचा के लंड के सुपाड़े को अपनी चूत में और कड़क , और मोटा होता महसूस किया तो मुझे पता चल गया की चाचा का लंड भी पानी बरसाने को तैयार है . मैं भी झड़ने के काफी पास थी और चाचा मेरी चूत में जोर जोर से , तेजी से धक्के मारने लगे . और फिर मैं तो पहुँच ही गयी . मैं दूसरी बार झर चुकी थी . चाचा लगातार मुझे चोदते जा रहे थे . और अचानक उन के लंड ने अपना गरम गरम प्रेम रस मेरी रसीली चूत में बरसना शुरू कर दिया . चाचा ने पीछे से मुझे जोर से कस कर पकड़ लिया . मैं तो जैसे हवा में उड़ रही थी . चाचा का लंड नाच नाच कर मेरी चूत अपने रस से भर रहा था और मैंने मज़े के मारे अपनी गांड भींच कर के उन के पानी बरसते हुए लंड को अपनी चूत में जकड़ लिया . चाचा मेरी चूचियां मसल रहे थे , मेरी गांड दबा रहे थे और मेरी आँखें तो मजेदार चुदाई के कारण बंद सी हो रही थी . हम कुछ देर वैसे ही पड़े रहे . मेरी चूत में चाचा का लंड शांत हो चुका था . थोड़ी देर बाद उन्होंने अपना नरम होता लंड अपनी गांड पीछे कर के मेरी चूत से निकाल लिया . मैं खड़ी हो कर बाथरूम में अपनी चूत साफ़ करने चली गई . जब मैं वापस आई तो चाचा को वैसा ही नंगा सोया देख कर मैं हंस पड़ी . उन का नरम हो चुका लंड अब नुन्नी बनकर उन की गोलियों पर आराम कर रहा था . चाचा जानते थे की मुझे नुन्नी बने नरम लंड से खेलना बहुत अच्छा लगता है , शायद इसी लिए .

मैंने बिस्तर पर आ कर उन के नरम नुन्नी लंड को सीधे अपने मुंह में ले लिया और किसी लोली पॉप की तरह चूसने लगी . मैंने उन का लंड चूसते हुए उन के लंड का रस ही नहीं , अपनी खुद की चूत के रस का भी स्वाद लिया . इस समय उन का लंड इतना नरम और इतना छोटा लुल्ली हो गया था की मैं उस को पूरे का पूरा अपने मुंह में ले गई थी . मैंने अपने हाथ से उनकी गोल गोल गोलियों को भी मसला . मैंने उन के लुल्ली लंड को मुंह से बाहर निकाल कर अपनी हथेली पर लिया तो वो एक छोटे चूहे के जैसे लग रहा था . मैंने उन के नरम लंड को अपनी मुलायम चुचियों के साथ रगड़ा , फिर से उस को मुंह में ले कर चूसा तो वो फिर से बड़ा होने लगा . फिर उन के लौड़े की लम्बाई इतनी बढ़ गई

meri chudai hindi- hindi sex stories

मैं अपने प्रेमी का इंतज़ार कर रही थी. जैसा की मैंने पिछले भाग में लिखा था की मैं अपने चोदु चाचा के साथ ITALY जाने वा ली थी और मेरा प्रेमी रमेश भी देल्ली जाने वाला था क्यों की वहां उस की नौकरी लग गई थी.

कुछ दिनों के लिए अलग होने से पहले हम ने एक लम्बी drive पर जाने का फैसला किया था. आप तो जानतें है की इसका मतलब क्या है.

वो बरसात का मौसम था और रुक रुक कर बरसात हो रही थी. मैंने समय देखा तो उस वक़्त दोपहर के ३.३० बजे थे. रमेश के आने में अभी भी एक घंटे की देर थी. मैं तो चुदाई के लिए इतनी बेचैन थी की एक घंटे पहले ही तैयार हो गई थी. मैं जीन और टॉप पहने हुए थी. मैंने अपने आप को आईने में देखा. भगवान ने मुझे बहुत ही सुन्दर बनाया है. मेरा बदन सेक्सी और फिगर तो मर्दों की जान लेने वाला है. मेरा नाप ३४ - २६ - ३६ है. गोल चेहरा, गोरा रंग, काले बाल और नीली आँखें. मैंने देखा है की लोग, चाहे मर्द हो या औरत, मैं जब भी बाहर जाती हूँ, मुझको ही देखतें रहतें हैं. मुझे पता है की जब भी मैं चलती हूँ, मेरी गोल गोल गांड बहुत ही प्यारे सेक्सी अंदाज़ में मटकती है और मेरी तानी हुई चूचियां तो सोने पर सुहागा है जो किसी भी मर्द को पागल बना देने के काबिल है. और सब से खास बात, मैं हमेशा ही अच्छे, मेरे सेक्सी बदन को सूट करने वाले कपडे पहनती हूँ. मैं अपना बदन ज्यादा नहीं दिखाती, पर जितना भी दिखता है, आप समझ सकतें है की क्या होता होगा. मैं मन ही मन मुस्करा देती हूँ जब मर्द लोग चुदाई की भूख अपनी आँखों में लिए और लड़कियां, औरतें जलन से मुझको देखती हैं. मैं भगवान को हमेशा बहुत बहुत धन्यवाद देती हूँ की उस ने मुझे इतना सुन्दर बनाया और मैं हमेशा अपने शरीर का ध्यान रखती हूँ. मैं रोज़ योग करती हूँ और जरूरी कसरत करती हूँ ताकि मेरा बदन हमेशा ऐसा ही रहे. बहुत से लोग, मेरे परिवार वाले भी और दोस्त लोग कहतें हैं की मैं फिल्मों में काम कर सकती हूँ पर मुझे कोई interest नहीं है फ़िल्मी हीरोइन बनने में. मैं तो अपने चाचा की और अपने प्रेमी की असली हीरोइन हूँ.

खैर, मैं अपनी सुन्दरता का वर्णन ज्यादा न करके, असली कहानी पर आती हूँ.

रमेश के आने में अभी वक़्त था तो मैं टाइम पास करने के लिए अपने घर की छत पर आ गई. छत का एक भाग छप्पर बना कर कवर कि या हुआ था ताकि बरसात और धूप से बच कर वहां बैठा जा सके. मैं एक कुर्सी पर बैठ गई और मैंने इधर उधर देखा. हमारा घर आस पास के सारे घरों से ऊंचा है और हमारी छत से हम दूर तक देख सकते थे. अचानक मेरी नजर पड़ोस के घर की तरफ गई. वो एक डॉक्टर का घर था. अपनी पत्नी के गुजर जाने के बाद डॉक्टर वहां अकेला रहता था. उस का लड़का विदेश में पढता था. डॉक्टर की उम्र उस समय करीब ४५/५० की होगी. वो २ बजे तक अपनी क्लिनिक में बैठता था जो की उस के घर के आगे के हिस्से में थी. एक सुन्दर और जवान औरत दिन में वहां आती थी जो की डॉक्टर के लिए खाना बनती थी, घर का दूसरा काम करती थी. मैं हमेशा सोचती थी की वो औरत केवल डॉक्टर का घर ही नहीं संभालती थी, बल्कि डॉक्टर को भी संभालती थी. मतलब, वो औरत बिना पत्नी के डॉक्टर से जरूर ही चुदवाती होगी.

मैंने दोनों को, डॉक्टर को और कामवाली औरत उनके घर के अन्दर के कमरे में देखा जिसका दरवाजा खुला था और मुझे सब साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था. डॉक्टर कुर्सी पर बैठा कुछ पढ़ रहा था और कामवाली कमरे की सफाई कर रही थी. डॉक्टर ने उसको कुछ कहा तो वो काम छोड़ कर आलमारी की तरफ गई और मैंने देखा की उस के हाथ में कुछ कपडे थे. उन कपड़ों को लेकर वो कमरे के अन्दर ही बाथरूम में चली गई. जब वो थोड़ी देर बाद वापस आई तो मैंने देखा की वो एक बहुत सुन्दर, गुलाबी रंग की ब्रा और चड्डी पहने हुए थी. शायद ये डॉक्टर की तरफ से कामवाली को तोहफा था और जरूर ही डॉक्टर ने उसको पहन कर दिखने को कहा था. वो एक टक उस को देख रहा था. जैसा की मैंने लिखा है की कामवाली सुन्दर थी, उस की भरी भरी चूचियां और भारी गांड उस गुलाबी रंग की ब्रा और चड्डी में बहुत सेक्सी लग रही थी. वो बातें कर रहे थे और वो डॉक्टर की तरफ बढ़ी. दोनों आपस में होठों का चुम्बन करने लगे और मेरा सोचना ठीक था की दोनों में चुदाई का रिश्ता था. मेरे लिए उन को देखना टाइम पास करने का अच्छा साधन था. वो दोनों अलग हुए और उस ने फिर से कमरे की सफाई करनी शुरू करदी. मैंने सोचा की शायद इतना ही होगा, पर मैं गलत थी. हलकी हलकी बरसात फिर से शुरू हो गई थी. वो अपनी सेक्सी कामवाली को ब्रा और चड्डी पहने काम करते देखता रहा और वो बातें करते रहे. जब वो उस के करीब से गुजरी तो डॉक्टर ने उस की भरी भरी चुचियों को दबा दिया. वो हंस पड़ी. अब डॉक्टर ने उस के पैरों के बीच हाथ डाल कर कुछ किया तो वो हवा में उछल पड़ी. जरूर डॉक्टर ने कामवाली की चूत में या गांड में ऊँगली की थी. वो उसकी तरफ देखती हुई फिर से हंस पड़ी. वो उस के पास आ कर खड़ी हुई तो डॉक्टर ने बैठे बैठे उस को कस कर पकड़ लिया. वो खड़ी थी वो प्यार से डॉक्टर के सिर के बालों में हाथ फिरा रही थी. डॉक्टर का सिर उस की भरी भरी चुचियों के बीच था और वो अपना चेहरा उस की चुचियों पर ब्रा के ऊपर से रगड़ रहा था. उस के हाथ उस की मोटी गांड को दबा रहे थे. उसने अपने हाथ से अभी अभी कामवाली को तोहफे में दी गई ब्रा की दोनों पट्टियाँ, बिना हुक खोले, उस के कंधे से नीचे करदी. कामवाली ने अपने हाथ नीचे करके ब्रा की पट्टियों से निकाल लिए और डॉक्टर ने उसकी ब्रा को नीचे पेट की तरफ करके उस की चुचियों को नंगा कर दिया. उस की गुलाबी ब्रा उसकी गुलाबी चड्डी से मिल रही थी और उस की बड़ी बड़ी चूचियां डॉक्टर के सामने थी डॉक्टर कामवाली की नंगी चुचियों पर अपना चेहरा रगड़ रहा था और उस ने उसकी एक निप्पल अपने मुंह में ले ली. उन लोगों की गर्मी मुझ में भी आने लगी. मेरी चूत में भी उन को देख कर हलचल मचने लगी. वो एक के बाद कामवाली की चूचियां और निप्पल किसी भूखे की तरह चूसता जा रहा था. कामवाली का सिर भी चूचियां चुसवाते हुए आनंद से आगे पीछे हिल raha था. मैं उन को देख कर मज़ा ले रही थी और आप तो जानतें ही है के मैं कितनी सेक्सी हूँ और जो मैं देख रही थी वो मुझे उत्तेजित करने के लिए काफी था. मेरी जीन के अन्दर मेरी चड्डी गीली होने लगी और अपने आप ही मेरी उँगलियाँ मेरी जीन के ऊपर से ही जहाँ मेरी चूत थी, वहां पर फिरने लगी.

वो दोनों कुछ ऐसी पोजीसन में थे की मैं कामवाली का चेहरा नहीं देख पा रही थी. डॉक्टर कुर्सी पर दरवाजे की तरफ मुंह करके बैठा हुआ था और मैं डॉक्टर का मुंह और कामवाली की गांड देख पा रही थी. अब कामवाली नीचे बैठ गई थी और डॉक्टर ने अपनी पेंट की जिप खोली तो कामवाली ने अपने हाथ से उसका लौड़ा पकड़ कर बाहर निकाल लिया. मैं इतनी दूर थी, फिर भी मैंने साफ़ साफ़ देखा की डॉक्टर का लंड काफी बड़ा था और उस के चरों तरफ काले काले बाल थे. कामवाली अपने हाथों से उस की झांटों को पीछे कर रही थी ताकि वो उसके काम के बीच में न आयें. कामवाली ने डॉक्टर के काले और बड़े लौड़े को चूमा और उस को धीरे धीरे हिलाने लगी. डॉक्टर अपनी कुर्सी पर पीछे सिर टिका कर बैठ गया और अपने लंड पर कामवाली के कमाल का मज़ा लेने लगा. थोड़ी देर उसका लंड हिलाने के बाद उस ने लंड का सुपाडा अपने मुंह में ले कर कुछ देर टक चूसा. फिर, वो उस के लंड को पकड़ कर मुठिया मारने लगी जब की डॉक्टर के लौड़े का सुपाडा उस के मुंह में ही था. मुझे पता चल चुका था की वहां शायद लंड और चूत की चुदाई नहीं होने वाली है, सिर्फ हाथ का कमाल ही होगा.

मैंने भी अपनी जीन की जिप खोल ली और चड्डी के किनारे से अपनी बीच की ऊँगली, अपने पैर चौड़े करके अपनी चूत टक ले गई. मैंने जल्दी जल्दी अपनी ऊँगली अपनी चूत के दाने पर फिरानी चालू की ताकि मैं जल्दी से झड़ सकूँ. और वहां, कामवाली तेजी से, डॉक्टर का लौड़ा चूसते हुए मुठ मार रही थी. मेरी ऊँगली की रफ़्तार भी मेरी चूत में बढ़ गई थी.

मैंने देखा की डॉक्टर की गांड कुर्सी से ऊपर हो रही है और अचानक ही उस ने कामवाली का सिर पकड़ कर अपने लंड पर दबा लिया. जरूर की उस के लंड ने अपना पानी छोड़ दिया था. कामवाली मज़े से डॉक्टर के लंड रस को पी रही थी. मेरी चूत पर मेरी ऊँगली के काम से मैं भी अब झड़ने के करीब थी. मैंने अपनी ऊँगली तेजी से अपनी गीली फुद्दी पर हिलानी शुरू करदी और मैं भी अपनी मंजिल पर पहुँच गयी. मेरी चड्डी मेरे चूत रस से और भी गीली हो गई. मैंने एक शानदार काम, चूत में ऊँगली करने का ख़तम किया. मेरी आँखें आनंद और स्वयं संतुस्ती से बंद हो गई.

जब मैंने आँखें खोली तो देखा की कामवाली डॉक्टर का लंड, अपना मुंह, अपनी गर्दन और अपनी चूचियां कपडे से साफ़ कर रही थी. शायद डॉक्टर के लंड का पानी उस के बदन पर भी फ़ैल गया था.

तभी मैंने रमेश की नीली जेन को अपने घर की तरफ आने वाली सड़क पर देखा. बरसात अब रुक चुकी थी. मैं खड़ी हुई और अपने कमरे की तरफ दौड़ी. मैंने दूसरी चड्डी ली और अपनी गीली चूत tissue पेपर से साफ़ करने के बाद उस को पहन लिया.

मैं जल्दी से अपने प्रेमी का स्वागत करने नीचे आई. वो अपनी कार पार्क करने के बाद घर के अन्दर आया तो मेरी माँ भी आ गई थी. हम सब ने साथ साथ शाम की चाय पी और हल्का नाश्ता किया. वो ज्यादातर मेरी माँ से ही बात करता रहा और करीब ५.०० बजे हम अपने बनाये हुए प्रोग्राम पर रवाना हुए.

हम गोवा - मुंबई हाइवे पर थे और फिर से बरसात शुरू हो गई थी, इस बार जोर से. तेज बरसात के कारण बाहर अँधेरा हो गया था. मैं अपना सिर उसके कंधे पर रख कर बैठी हुई थी और बाहर हो रही बरसात मुझे सेक्सी बना रही थी, गरम कर रही थी. वो बहुत सावधानी से कार चला रहा था. रस्ते पर बहुत कम वाहन थे,

उस ने मेरे गाल पर चुम्बन लिया तो मैं अपना आपा खोने लगी. मैंने भी उस के गाल को चूमा. गाडी चलते हुए उस ने मेरी चुचियों को दबाया. मैं जो चाहती थी, वो हो रहा था. उस ने फिर एक बार मेरी चुचियों को दबाया और मसला, इस बार जरा जोर से. चलती गाडी में जितना संभव था, उतना मैं उस से चिपक गई. अब मेरी चूचियां उस के हाथ पर रगड़ खा रही थी. मैंने उस के शर्ट के ऊपर का बटन खोल दिया. मेरी उँगलियाँ उस की चौड़ी, बालों भरी छाती पर, उस की मर्दाना निप्पल पर घूमने लगी. मैंने महसूस किया की उसकी निप्पल मेरे सेक्सी तरीके के कारण कड़क हो गई थी. मैंने एक के बाद एक, उसकी दोनों निप्पलों को मसला तो उसको मज़ा आया. मैंने नीचे देखा तो पाया की उस की पेंट के नीचे हलचल हो रही थी. मैंने मुस्कराते हुए उस की निप्पल को छोड़ कर अपना हाथ नीचे ले गई. मेरा एक हाथ उस की गर्दन के पीछे था और मेरी चूचियां अभी भी उसके हाथ पर रगड़ खा रही थी. मेरा दूसरा हाथ उस की पेंट के ऊपर, उसके तने हुए लंड पर था. उस ने अपने परों की पोजीसन ऐसी बना ली की वो कार चलता रहे और मैं उस के लौड़े से खेलती रहूँ. मैं उस का खड़ा हुआ लंड मसल रही थी और उस को बाहर निकालना चाहती थी. मैंने उस की जिप खोली तो उस ने भी अपने खड़े हुए लंड को चड्डी से बाहर निकालने में मेरी मदद की.

कितना सुन्दर लंड है मेरे प्रेमी का. गहरे भूरे रंग का, करीब 7 / 7.5 इंच लम्बा, 3 इंच मोटा और कड़क लंड. ( मैंने उस के लंड को नापा था जब हम एक बार अलग अलग तरीके ले लौडों के बारे में बात कर रहे थे. इसीलिए मुझे उस के लंड का नाप मालुम है.) गरम, शख्त और मज़बूत. उस के लंड के सुपाड़े पर चमड़ी है और और सुपाड़े पर छेद बहुत प्यारा लगता है. मुझे हमेश ही उसके मर्दानगी भरे लंड को देखना अच्छा लगता है. मैं बहुत भग्यशाली हूँ की मुझे ऐसा प्रेमी मिला है जो मेरी तरह हमेशा, कहीं भी, कभी भी, प्यार और चुदाई का खेल खेलने को तैयार रहता है. उस लंड की ऊपर की चमड़ी बहुत आसानी से नीचे हो जाती है, जब मैं उस के खड़े लंड को पकड़ कर नीचे दबाती हूँ. उस का गुलाबी सुपाडा मेरी आँखों के सामने आ जाता है. उस के लंड के सुपाड़े पर, छेद पर पानी की एक बूँद आ गई थी जो की आप जानतें है ये चुदाई के पहले का पानी है. उस ने भी कार चलते हुए मेरी चूत पर मेरी जीन के ऊपर से ही हाथ फिराया जिस से मेरी गर्मी बढ़ने लगी और हमेश की तरह मेरी चूत ने भी रस निकालना चालू कर दिया. मुझे पता है की रमेश का कार चलाने पर बहुत अच्छा नियंत्रण होता है और वो कार चलाने में बहुत ही माहिर है. इसलिए मैं चलती कार में उसके साथ चुदाई का खेल खेलते समय चिंता नहीं करती जब वो कार चला रहा होता है. मैंने धीरे से उस के खड़े लंड को पकड़ कर हिलाया, जैसे वो कामवाली डॉक्टर का हिला रही थी. मेरे छूने से उस का कड़क लौड़ा और भी सख्त हो गया. बाहर हो रही बरसात हमारी भावनाओं को भड़का रही थी और हम चलती कार में हमारा पसंदीदा काम करने लगे. मैंने रमेश की आँखों में देखा तो उन में मेरे लिए प्यार के सिवाय कुछ और नहीं था. मैंने उस के लंड को पकड़ कर ऊपर नीचे करना शुरू किया. कुछ समय बाद मैंने अपना सिर नीचे करके उस के तनतनाते हुए लंड को अपने मुंह में लिया. मैं अपनी जीभ उस के लंड मुंड पर घुमा कर उस के पानी का स्वाद लिया. उस का लंड चूसते हुए भी, चलती कार में मेरा मुठ मारना लगातार चालू था. मुझे पक्का था की कोई भी बाहर से नहीं देख सकता था की अन्दर चलती कार में हम क्या कर रहें है. कार के शीशे गहरे रंग के थे और बाहर बरसात होने की वजह से वैसे भी अँधेरा था. बाहर बरसात और तेज होने लगी थी जो कार में हम दोने को गरम, और गरम, सेक्सी बना रही थी. मैं एक बार तो घर पर डॉक्टर और उसकी कामवाली को देख कर अपनी चूत अपनी ही ऊँगली से चोद चुकी थी, और अब मैं चाहती थी की लंड और चूत के मिलन से पहले उस के लंड को भी हिला हिला कर, मुठ मार कर उसके लंड का रस भी निकाल दूँ. कार की छोटी जगह में झुक कर उस के लंड को चूसने में तकलीफ हो रही थी क्यों की हिलने जगह बहुत ही कम थी. उस ने भी इस बात को समझा और मैं सीधी हो कर बैठ गई. उस ने फिर मेरी चुचियों को मसला और दबाया, मेरी चूत पर हाथ फिराया. मैंने बैठे बैठे उस के लंड को कस कर पकड़ा और शुरू हो गई जोर जोर से मुठ मारने का काम करने को. वो भी बार बार मेरी चुचियों से खेल रहा था, दबा रहा था, मसल रहा था और मेरी चूत पर भी हाथ फिरा रहा था. चुदाई की, सेक्स की गर्मी बढती गई. हम दोनों को ही मज़ा आ रहा था. मैं सोच रही थी की उस के लंड का पानी जब निकलेगा, तब कार में, उस के कपड़ों पर फ़ैल जाएगा. मुझे पता है की उस का लंड, बहुत दूर तक, बहुत तेजी से और बहुत सारा पानी निकालता है. मैं अपना मुठ मारने का काम कर रही थी और उस ने कार में पड़ा छोटा तौलिया अपने हाथ में ले लिया. मैं समझ चुकी थी की ये लंड से निकलने वाले पानी को फैलने से रोकने के लिए है. वो कार चला रहा था और मैं उस के लंड पर मुठ मार रही थी. मुठ मारते मारते मैंने उस के लंड में और ज्यादा शाख्ती महसूस की तो मुझे पता चल गया की उस का पानी निकलने वाला है. एक हाथ से वो ड्राइव कर रहा था और एक हाथ में अपने लंड के पास तौलिया पकड़े हुए था.

अचनक उसके मुंह से निकला "ऊऊह जुलीईईईईईए" और उसने तौलिया अपने लंड के मुंह पर रखा. मैंने जल्दी से तौलिया पकड़ कर उस के लंड पर लपेट दिया और फिर से उस के लंड को तौलिये के ऊपर से पकड़ लिया. उस का लंड पानी छोड़ने लगा जो तौलिये में जमा होता जा रहा था. पानी निकालते हुए उस का लंड मेरे हाथ में नाच रहा था. मैं उस के लंड को टाईट पकड़े रही. उस के चेहरे पर संतोष के भाव थे और मैं खुस थी की मैंने अच्छी तरह से मुठ मार कर उस के लंड को शांत किया था. मैंने तौलिये से उस के लंड को साफ़ किया और फिर उसने अपने लंड के पानी से भीगा हुआ तौलिया चलती कार से बाहर गीली सड़क पर, थोड़ी से खिड़की खोल कर फ़ेंक दिया. जब उसने खिड़की खोली थी तो पानी की कुछ बूँदें अन्दर आई, हमें अच्छा लगा. उस का लंड अभी भी आधा खड़ा, आधा बैठा था. न ज्यादा कड़क, न ज्यादा नरम. आप जानतें है की हमेशा ही खड़े लंड को थोड़ी कोशिश के बाद चड्डी और पेंट से बाहर निकाला जा सकता है, पर खड़े लंड को वापस चड्डी और पेंट में डालना मुश्किल है. नरम लंड को आसानी से वापस कपड़ों के अन्दर डाला जा सकता है. उस ने वापस अपना नरम लंड अपनी जिप के अन्दर, पेंट में, चड्डी में डाल लिया.

करीब 6.30 हो चुके थे और हम हमारे घर से करीब १०० KM दूर थे. अभी भी भारी बरसात हो रही थी और बहार बहुत अँधेरा हो गया था और हमारी कार चली जा रही थी. मैंने रमेश से पूछा की क्या प्रोग्राम है तो उस ने बताया की कोई 30 की.मी. आगे एक रेसोर्ट है और उस का प्रोग्रामे वहां जाने का था पर अब, जबकि मौसम ऐसा है तो क्यों न कार में ही चुदाई की जाए.

मैं मान गई कार में चुदवाने को क्यों की मैंने कभी कार में नहीं चुदवाया था. भी कार में चुदवाने का अनुभव लेना चाहती थी. मुझे हमेशा अलग अलग पोजीसन में, अलग अलग जगह में चुदवाने में बहुत मज़ा आता है. मैंने उस से पूछा की कैसे हम हाइवे पर कार में चुदाई कर सकतें है तो उसने मुस्करा कर जवाब दिया " अगर मैं तुम को हाइवे पर कार में चोदूंगा तो इस मौसम और अँधेरे में कोई मेरी कार की पीछे से गांड मार देगा." मैं उसकी बात सुन कर हंस पड़ी.

कोई 2 / 3 किमी आगे आने के बाद उस ने कार हाइवे से नीचे उतार कर पेड़ों के झुण्ड की तरफ बधाई. आखिर उस ने कार वहां खड़ी की जहाँ चारों तरफ घने पेड़ थे. मैंने देखा की हमारी कार दो बड़े पेड़ों के बीच खड़ी थी. हम हाइवे से ज्यादा दूर भी नहीं थे. बाहर चारों तरफ पानी भरा था. बड़े बड़े पेड़ों के बीच हमारी ब्लू रंग की कार को इस मौसम में और अँधेरे में हाइवे से देख पाना संभव नहीं था. ये एक बहुत महफूज़ जगह थी पहली बार कार में चुदाई करने के लिए. भारी बरसात लगातार हो रही थी और हम बड़ी बड़ी पानी की बूंदों को हमारी कार की छत पर गिरते हुए सुन सकते थे.

रमेश मेरी तरफ घूमा और बोला " डार्लिंग! क्या तुम इस सेक्सी मौसम में कुछ बीअर पीना चाहोगी? "

" जरूर. क्या कार में है बीअर ?." मैंने पुछा.

उस ने पिछली सीट से एक थैली उठाई जिसमे कुछ FOSTER BEER CANS थे. उस ने एक कैन खोल कर मुझे दिया और एक अपने लिए खोल लिया.

"चीअर्स" हम ने एक साथ बोला और धीरे धीरे बीअर पीने लगे.

मैं - कार में कैसे करेंगे ? पिछली सीट पर?

रमेश - पिछली सीट पर कर सकतें है पर इस छोटी कार में जगह बहुत कम है. मैं सोच रहा हूँ की क्यों न आगे की सीट पर किया जाए जिस पर तुम बैठी हो. हम सीट को पीछे करके जगह बना सकतें है.

मैं - इस सीट पर? कैसे होगा इतनी कम जगह में?

रमेश - ठीक है. हम यहाँ शुरू करतें है. अगर जरूरत हुई तो पिछली सीट पर चले जायेंगे. मैं कुछ बता नहीं सकता क्यों की मैंने कार में कभी नहीं किया है. आज पहली बार है.

मैं - मेरा भी तो पहली बार है. ठीक है. हम पहली बार ट्राई करतें हैं साथ साथ.

हम बीअर पी रहे थे और बाहर का बरसाती मौसम हमारे तन बदन में आग लगा रहा था. एक तो हम दोनों वैसे ही स्वभाव से सेक्सी है और ऊपर से ये मौसम. हम दोनों ही जानते है की समय और जगह कैसे सही इस्तेमाल किया जाता है. हम लोग सेक्सी बातें कर रहे थे और कार में, हाइवे के पास और बरसात के मौसम में एक मजेदार चुदाई के लिए तैयार हो रहे थे. वहां, पेड़ों के बीच कार में बैठे बैठे हम को हाइवे पर आती जाती गाड़ियों की रौशनी दिखाई दे रही थी पर हमें पता था की कोई भी हम को देख नहीं पायेगा. हमने बीअर का एक एक कैन ख़तम किया और फैसला किया की चुदाई होने के बाद, वापस जाते समय बीअर पीने का दूसरा दौर चलाएंगे. जगह बनाने के लिए उस ने मुझे मेरी सीट पीछे करने को कहा. मैंने सीट पेचे की तो वो करीब करीब पीछे की सीट को छू गई. अब मेरी सीट के सामने काफी जगह हो गई थी. मैं अभी भी सोच रही थी की इस सीट पर वो मुझे कैसे चोदेगा. अब मैंने सीट की पीठ को पीछे धकेला तो मैं अधलेटी पोजीसन में हो गई.

वो बोला - डार्लिंग! हम केवल अपने नीचे के कपड़े ही उतारेंगे ताकि हम आराम से चुदाई कर सकें. अगर अचानक कोई आ गया तो ऊपर के कपड़े पहने होने की वजह से हम नंगे नहीं दिखेंगे.

मैं उस की बात समझ कर मान गई, हालांकि चुदवाते समय मुझे शरीर पर कपड़े बिलकुल भी पसंद नहीं है. पर मैं मौके की नजाकत को समझ रही थी, इस लिए ऊपर के कपड़े बदन पर रख कर चुदवाने को राज़ी हो गई.

उसने अपनी पेंट और चड्डी उतार कर पिछली सीट पर फ़ेंक दी. अब केवल वो अपनी शर्ट पहने हुए था. मैंने देखा की उस का लंड धीरे धीरे खड़ा हो रहा था जैसे उस में हवा भरी जा रही थी. उसका लंड लम्बा होता जा रहा था, मोटा होता जा रहा था और ऊपर की और उठ रहा था. मैंने भी अपनी जीन और चड्डी उतार कर पिछली सीट पर उस के कपड़ों पर फ़ेंक दिए. अब मैं भी ऊपर केवल अपना टॉप पहने हुए थी और नीचे से हम दोनों नंगे थे. उसने कार की ड्राइविंग सीट भी पीछे करदी ताकि थोड़ी और जगह हो जाए. मेरा बहुत मन हो रहा था की वो मेरी चुचियों को चूसे, पर मैं समझ रही थी की हम किसी बंद कमरे में नहीं है. और मैं अपनी चूत, अपनी गांड और अपनी चूचियां किसी और को नहीं दिखाना चाहती थी.

उस ने शायद मेरी आँखों को पढ़ लिया था. वो बोला - " जूली ! एक काम करो. मैं जिस तरह चुदाई करने की सोच रहा हूँ, उस में मैं तुम्हारी चूचियां चोदते वक़्त नहीं चूस पाऊँगा. पर मैं तुम को चुदाई का पूरा पूरा मज़ा देना चाहता हूँ और साथ ही खुद भी पूरा मज़ा लेना चाहता हूँ. तुम अपनी ब्रा का हुक खोल लो और अपने टॉप के नीचे के दो बटन भी खोल लो. इस तरह तुम्हारी चूचियां नंगी भी रहेगे और ढकी हुई भी रहेंगी. मौके का फायदा उठा लेंगे. "

मैं उस की बात सुन कर खुस हो गई. हम दोनों ही जानते है की चुदवाते समय मुझे अपनी चूचियां और निप्पल चुस्वाना बहुत पसंद है. मैंने वैसा ही किया जैसा उस ने कहा. मेरी चूचियां अब मेरे टॉप के नीचे से चुसवाने को तैयार थी.

अब टक उसका गरम लंड पूरी तरह तन कर चूत से मिलने को तैयार हो गया था. मैं जानती थी की मेरी चुदाई बहुत देर टक होने वाली है क्यों की चाचा की तरह रमेश भी चुदाई के मामले में बहुत मज़बूत है और बहुत देर चोदने के बाद उस के लंड का पानी निकलता है. और ऊपर से मैंने अभी कुछ देर पहले मुठ मार कर एक बार उसके लंड रस को निकाल दिया था तो और भी ज्यादा वक़्त टक चोदने वाला है मुझे.

खैर, अब वक़्त आ गया था असली चुदाई का. मैंने उस के खड़े हुए लंड को पकड़ा तो वो हमेशा की तरह बहुत गरम था. मैं बहुत भाग्यशाली हूँ की मेरे प्रेमी का लौड़ा इतना मज़बूत, इतना लम्बा, इतना मोटा और इतना गरम है. मैं तो कहती हूँ की ये लौड़ा नहीं, चोदने की मशीन है. चुदाई की शुरुआत हमने हूथों के चुम्बन से की. हम एक दुसरे के गरम, रसीले होंठ चूसने लगे. होठों के चुम्बन से चुदाई की आग और भी भड़क गई. उस ने मुझे अपने ऊपर खींच तो मेरे हाथ उस की गर्दन के पीछे और उस के हाथ मेरी गोल गोल, कड़क गांड पर फिरने लगे. मेरी चूत में खुजली होने लगी और वो गीली होने लगी. वो मेरी गंद दबा रहा था और अपनी उँगलियाँ मेरी गांड की गोलियों के बीच की दरार में घुमा रहा था. मैं और भी गरम होने लगी. रमेश ये अच्छी तरह जानता है की कम समय में मुझे कैसे गरम किया जाता है और वो वही काम एक बार फिर कर रहा था. मेरी जीभ को अपने मुंह में ले कर उसने आइस क्रीम की तरह चूसा, चुभलाया. उस के हाथ लगातार मेरी नंगी गांड पर घूम रहे थे. उसकी उन्ग्की मेरी गांड पर घुमती हुई थोड़ी से मेरी गांड में घुसी तो मैं उछल पड़ी. जब उस ने अपनी ऊँगली मेरी गांड में अन्दर बहर हिलाई तो मज़ा ही आ गया. हाइवे पर गाड़ियाँ आ जा रही थी और कोई भी हम को देख नहीं सकता था. हमारी कार पेड़ों के बीच में थी और हम दो जवान प्रेमी उसमे चुदाई का मज़ा ले रहे थे, बिना किसी की नज़र में आये. आप जानतें है की इस से पहले मैंने कई बार चलती हुई कार में अपने हाथ और मुंह का कमाल उसके लंड पर दिखाया था, बिना किसी की नज़र में आये और ये पहला मौका था जब हम पूरी चुदाई कार में करने वाले थे, उसी तरह, बिना नज़र में आये. मैंने उस का तना हुआ, चुदाई के लिए तैयार लंड पकड़ कर उसके मुंह की चमड़ी नीचे की तो उसके लौड़े का गुलाबी सुपाडा बाहर आ कर चमक उठा. हमने चुम्बन ख़तम किया और मैं अपनी सीट पर बैठ कर लम्बी लम्बी साँसे लगी. us के हाथ पकड़ कर मैंने उनको अपनी चुचियों पर रखा तो वो मेरी चुचियों को मेरे टॉप के ऊपर से दबाने लगा. उस का लंड अभी भी मेरी पकड़ में था. उस ने अपना मुंह मेरी चुचियों टक लाने के लिए अपनी पोजीसन बदली और मेरे टॉप के नीचे का भाग ऊपर किया तो मेरी तनी हुई दोनों सेक्सी चूचियां उस के चेहरे के सामने थी. मेरी गहरे भूरे रंग की निप्पल तन कर खड़ी थी, एक निप्पल को उस ने अपने मुंह में लिया और दूसरी को अपनी उँगलियों के बीच में. मेरी एक निप्पल को किसी भूखे बच्चे को तरह चूस रहा था और दूसरी निप्पल को किसी शैतान बच्चे की तरह मसल रहा था. मेरी फुद्दी अब टक पूरी गीली हो चुकी थी और उस में चुदवाने के लिए खुजली हो रही थी. इस पोजीसन में मैं उस के लौड़े को देख नहीं पा रही थी पर वो अभी भी मेरे हाथ में था और मैंने उस को भी थोड़ा पानी छोड़ते हुए महसूस किया. यानि वो भी मेरी चूत में घुसने के लिए मरा जा रहा था. हम अपने अलग ही, चुदाई के संसार में थे और हमारा पूरा धयान चुदाई पर ही था, हम चुदाई में ही मगन थे. उस ने मेरी दूसरी चूची को चूसने के लिए फिर अपनी पोजीसन बदली. जो निप्पल पहले मसली जा रही थी वो अब चुसी जा रही थी और जो पहले चुसी जा चुकी थी वो अब मसली जा रही थी. उस छोटी सी कार में चुदाई का तूफ़ान उठ रहा था और बाहर बरसात हो रही थी. किसी को पता नहीं था की वहां एक कार है और कार में हम चुदी चुदी खेल रहे थे.

उस का एक हाथ मेरे पैरों के जोड़ की तरफ बढ़ा तो मैंने अपने पैर थोड़े चौड़े कर लिए ताकि वो मेरी सफाचट, चिकनी चूत पर आराम से हाथ फिरा सके. हात फिराते फिराते उस की बीच की ऊँगली मेरी गीली फुद्दी के बीच की दरार में घुस गई. वो अपनी ऊँगली मेरी चूत के बीच में ऊपर नीचे मेरी चूत के दाने को मसलता हुआ घुमा रहा था. चूची चुसवाने से और चूत में ऊँगली करवाने से मेरे मुंह से सेक्सी आवाजें निकलने लगी. उस के मुंह में मेरी निप्पल और मेरे हाथ में उस का लंड, दोनों और कड़क हो गए. मैं भी उस का लंड चुसना चाहती थी और 69 पोजीसन के बारे में सोचा मगर कार में ये संभव नहीं था. मेरी चूत में उस की ऊँगली लगातार घूम रही थी और मैं संतुष्टि के स्टेशन की तरफ बढ़ने लगी. उस की ऊँगली अब मेरी चूत में घुस कर चुदाई कर रही थी. मेरी फुद्दी को उसकी ऊँगली चोद रही थी. जैसे ही उस को पता चला की मैं पहुँचने वाली हूँ, उस ने मेरी चूत की चुदाई अपनी ऊँगली से जोर जोर से करनी शुरू करदी. वो मेरी चूत को अपनी ऊँगली से इतनी अच्छी तरह से, सेक्सी अंदाज़ में चोद रहा था की मैं झड़ने वाली थी और मरी नंगी गांड अपने आप ही हिलने लगी. मेरे मुंह से जोर से संतुष्टि की आवाज निकली और मैं झड़ गई. मैंने उसकी ऊँगली को अपने पैर, गांड और चूत टाईट करके अपनी चूत में ही जकड़ लिया और झड़ने का मज़ा लेने लगी.

आखिर मैंने उस से कह दिया की मैं उस के गरम लंड को चखना चाहती हूँ. मैं उस को इतना गरम करना चाहती की उस के लंड का पानी मेरी चूत में जल्दी ही बरस जाए. मैं उसको भी अपने अगले झड़ने के साथ झाड़ना चाहती थी. इस के लिए जरूरी था के मैं उस को चुदाई के आधे रास्ते पर चूत की चुदाई शुरू करने के पहले ही ले जाऊं.

हम ने फिर अपनी पोजीसन बदली और वो कार की पेसेंजर सीट पर अधलेटा हो गया और मैं ड्राइविंग सीट पर आ गई. उस का गरम, लम्बा, मोटा और पूरी तरह तना हुआ चुदाई का सामान लंड कार की छत की तरफ मुंह कर के खड़ा हुआ था जिस का नीचे का भाग मैंने अपने हथेली में पकड़ा. उस के लंड का सुपाडा पहले से ही बाहर था जिस को मैंने सीधे अपने मुंह में ले कर चुसना शुरू कर दिया. हे भगवान्, कितना गरम लंड है उसका. मैंने उस के लंड से बाहर आते पानी को चखा और अपनी जीभ उस के लंड के सुपाड़े पर घुमाने लगी. मेरा हाथ उस के लंड को पकड़ कर धीरे ऊपर नीचे होने लगा. मैं ड्राईवर सीट पर अपने घुटनों के बल बैठ कर, झुक कर उस के लंड को चूस रही थी, और मेरी नंगी गांड ऊपर हो गई थी. ये उस को खुला निमंत्रण था. उस ने अपना हाथ मेरी गोल नंगी गांड पर घुमाते हुए फिर से मेरी टाईट गांड में अपनी ऊँगली डाल दी. मैं उस को उस को उस का लौड़ा चूस कर, मुठ मार कर गरम कर रही थी और वो मुझे मेरी गांड में अपनी ऊँगली धीरे धीरे अन्दर बाहर कर के गरम कर रहा था. रमेश को गांड मारना पसंद नहीं था पर मेरी गांड में ऊँगली करना उस को हमेशा अच्छा लगता था, और सच कहूँ तो मुझे भी बहुत अच्छा लगता था. उस की मेरी गांड में घूमती ऊँगली मुझे चुदवाने के लिए बेचैन कर रही थी. रमेश एक बहुत अच्छा चुद्दकद है और मैं खुश हूँ की वो मेरा होने वाला पति है.

मेरी उस के लंड की धीरे धीरे चुसाई और धीरे धीरे मुठ मारे अब तेज हो चली थी. मेरी दोनों चूचियां हवा में लटक रही थी और आगे पीछे हिल रही थी, मेरी गांड में उसकी ऊँगली भी बराबर घूम रही थी.

जब मैंने महसूस किया की मैं उस को उसके लंड की चुसाई से और मुठ मार कर आधे रास्ते टक ले आई हूँ और अब चूत और लंड की चुदाई में हम साथ साथ झड़ सकतें है, तो मैंने उस के तनतनाते हुए लंड को अपने मुंह से बाहर निकाला.

वो पेसेंजर सीट पर उसी तरह अधलेटा था और उस ने मुझे उसी पोजीसन में अपने ऊपर आने को कहा. मैं उस पर लेट गई. मेरी पीठ उस की छाती पर थी और उस का खड़ा हुआ चुदाई का औजार, उस का लंड मेरी गांड के नीचे था. उस के दोनों परों को मैंने अपने दोनों परों के बीच में ले कर चुदाई की पोजीसन बनाई. एक हात से मैंने मैंने कार के दरवाजे के ऊपर के हँडल का सहारा और saport लिया और मेरा दूसरा हाथ ड्राईवर सीट के ऊपर था. मैं अब उस के लंड पर सवारी करने को तैयार थी. अपने दोनों हाथो के support से मैंने अपनी गांड ऊपर की तो उस का लंड राजा मेरी गीली, गरम और चिकनी चूत के नीचे आ गया.

हम इस तरह की अधलेटी पोजीसन में पहली बार चुदाई करने जा रहे थे और वो भी कार में. ये एक यादगार चुदाई होने वाली थी. उस के लम्बे

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दोस्तों मेरा नाम मोनू है.....

मैं शादी शूदा हूँ और वड़ोदरा में रहता हूँ...लेकिन मेरी बीबी कई सालों से मुझसे अलग रहती है हमारे बीच डिवोर्स का केस चल रहा है........

अकेले रहते रहते कई साल हो गए हैं दिन तो कट जाता था लेकिन रात काटना थोडा मुश्किल होता था ... सो मैंने एक मेट्रीमोनियल साईट पर अपना प्रोफाइल बनाया .....और मुझे बहुत सारे प्रोफाइल आये पर एक दिन एक ऐसी लड़की का प्रोफाइल आया उसका भी डिवोर्स केस चल रहा था ...... और वो अकेले दिल्ली के पास एक हॉस्टल में रहती थी और एक कंपनी में काम करती थी..........दोस्तों उसकी फोटो देख कर तो मैं फ़िदा हो गया जितनी सिम्पल दिखती थी उतना ही मस्त फिगर था .......मैंने प्यार से उसका नाम रच्चू रखा था......बहुत दिनों तक हम एक दूसरे को मेल करते रहे ....फिर एक दिन उसने मुझे अपना मोबाइल नंबर दिया और उसके बाद हमारे बीच बातों का सिलसिला शुरु हो गया..........पहले तो 10 -15 दिन में कभी कभी बस थोड़ी बाते ही होती थी लेकिन बाद में लगभग हर रोज रात को आधा घंटा और कभी कभी घंटो तक बातो का सिलसिला चलने लगा .........

वैसे तो हमें एक दूसरे को जानते हुए 3 -4 साल हो चुके थे लेकिन हम कभी मिले नहीं थे हाँ एक दूसरे का फोटो जरुर देखा था ......और ये सब एक दिन अचानक ही हो गया ...............................बात जनवरी 2010 के दिनों की है रात को बात करते करते मैंने अचानक मिलने की जिद की तो पहले तो वो तैयार नहीं हुई लेकिन बाद में मुझसे मिलने के लिए तैयार हो गयी.......मैंने दिल्ली से वड़ोदरा की आने जाने की 3एसी की टिकट करा के उसके पास भेज दिया....और फिर मुझे फ़ोन किया की मैं ट्रेन में बैठ गयी हूँ तुम मुझे स्टेशन लेने आ जाना ............ये सुनकर मैं बहुत खुश हुआ और दोस्तों यकीन मनो मुझे उस रात नींद नहीं आई और सारी रात करवटें ले कर रात गुजारी और सुबह होते ही वड़ोदरा स्टेशन भागा उसको लेने के लिए......और जैसे ही वो ट्रेन से उतरी मुझे देख कर शर्मा गयी मैंने भी मौका देख कर चूकना अच्छा नहीं समझा और उसको तुरंत गले से लगा कर स्वागत किया ...और गले लगने के बाद उसकी शर्माहट थोड़ी कम हुई .......खैर वहां से मैं उसे अपनी मोटरसाइकल पर बैठा के घर ले आया ....मैंने रास्ते में ही उसके छोटे छोटे और एक दम कसे हुए उभारों को महसूस कर लिया था.........

घर पहुच कर मैंने उसे कहा की की तुम नहा कर फ्रेश हो जाओ क्यूंकि सफ़र से थक गयी होगी ..और मैं तुम्हारे लिए चाय बना के लाता हूँ और थोड़ी देर बाद जब वो नहा कर निकली तो क्या क़यामत लग रही थी उसके ब्लाउज में उसकी उसकी जवानी समां नहीं पा रही थी और ऐसा लग रहा था की बस उसकी दोनों चूचियां ब्लाउज के बटन तोड़ कर बाहर आ जाएँगी....और उनके बीच की घाटियाँ तो ऐसे लग रही थी की बस अभी उसमे डूब जाऊं ....वो भी भांप गयी और साडी के पल्लू से ढकते हुए मेरे बगल में आ के बैठ गयी और चाय पीने लगी.....चाय पीते पीते हम थोड़ी इधर उधर की बातें करने लगे .....................

चाय पीने के बाद वो खिड़की के पास खड़ी होकर बाहर देखने लगी...मैं जाकर उसके पीछे खड़ा हो कर उसे खिड़की के बाहर के नज़ारे के बारे में बताने लगा और इसी दौरान मैं पीछे से उससे चिपक कर खड़ा हो गया और उसकी कमर में हाथ डाल कर उसकी पीठ पे किस्स किया और फिर उसकी उसके गले में किस्स किया और मैंने अपने होंठ उसके गलों के तरफ से उसके होंठों की तरफ ले जाने की कोशिश की लेकिन वो हट गयी.....तो मुझे लगा शायद मैंने जरा जल्दबाजी कर दी....और फिर मैं जा कर बेड पर बैठ गया फिर थोड़ी देर बाद वो भी अन्दर आ गयी और मेरे पैरों के पास बैठ कर अपना सर मेरी गोद में रख दिया और आँखें बंद कर ली....तो मेरी हिम्मत एक बार फिर बढ़ी और मैंने इस बार उसके गालों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उसके होठों को चूम लिया....जैसे ही मैंने उसके होठों को चूमा वो तड़प उठी..........और मेरे होठों को जोर जोर से चूसने लगी जैसे बहुत प्यासी हो..............

मैंने भी उसके होठों को चूसते हुए ही उसको निचे से ऊपर उठाया और फिर बेड पे लिटा दिया और उसके होठों को चुमते हुए एक हाथ से उसकी ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चुचियों को दबाने लगा तो वो जोर जोर से सिसकियाँ लेने लगी....और उसके हाथ मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को जोर जोर से दबाने लगे .....फिर धीरे धीरे मैंने उसकी ब्लाउज के बटन खोल दिए और उसकी ब्रा भी उतार दी......उसकी छोटी छोटी एक दम कसी हुई चूचियां छोटे छोटे संतरों की तरह लग रही थी...मैंने एक चूची को मुह में लेकर दूसरे को एक हाथ से जोर जोर से दबाने लगा अब उसकी सिसकियाँ और भी तेज़ हो गयी...और उसने मेरी पैंट की जिप खोल कर मेरे लंड को बाहर निकाल लिया और उसको अपने हाथ से जोर जोर से मसलने लगी.....अब तो मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था सो मैंने अपने सारे कपडे उतार दिए और एक दम नंगा हो गया ..फिर मैंने उसकी साडी पेटीकोट और पेंटी उतार दी और उसके दोनों पैर फैला कर उसकी चूत चाटने लगा लेकिन शादी शुदा होने के बावजूद भी उसकी चूत एकदम कसी हुई और गुलाबी रंग की थी....शायद आने से पहले ही उसने अपनी झांटें साफ़ की थी इसलिए उसकी चूत एकदम चमक रही थी......जैसे ही मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाली वो जोर जोर से सिस्कारियां लेने लगी.....और जोर जोर से अपनी चूत को उछाल उछाल के मेरे मुह पे धक्के देने लगी.....कुछ देर में ही उसकी चूत से ढेर सारा पानी निकलने लगा.....

फिर वो उठी औए मेरे लंड को मुंह में लेकर आगे पीछे करने लगी और जोर जोर से चूसने लगी....दोस्तों क्या बताऊँ लंड चुसवाने में इतना मज़ा आता है मुझे पता नहीं था और मेरी बीबी ने तो आजतक कभी नहीं चूसा था....खैर जो भी हो...उस वक़्त मेरे लंड को उसके मुंह की गर्माहट मुझे परमानन्द दे रही थी.....और थोड़ी देर में ही मुझे लगा की जैसे मेरा लंड रूपी ज्वालामुखी लावा उगलने को तैयार था ...मैंने अपने लंड को उसके मुंह से निकालने की कोशिश की लेकिन उसने इतने जोर से पकड़ कर चुसना शुरू कर दिया की जैसे वो उसी का इंतज़ार कर रही हो....और थोड़ी देर में ही मेरे लंड की गर्माहट मुझे लंड के बाहर भी महसूस होने लगी.....और मेरा सारा पानी उसके मुंह में ही निकल गया और वो भी सारा पानी पी गयी.......और कहने लगी मन आज बहुत दिनों के बाद मुझे किसी के प्यार को महसूस करने का मौका मिला है.....

अब प्लीज़ तुम मेरी आग को शांत करो.....और ये कहते हुए उसने मेरे लंड को फिर से जोर जोर से दबाना शुरु कर दिया फिर मुह में लेकर दोबारा चूसने लगी और जल्दी ही मेरा लंड भी उसकी चूत की गुलाबी दीवारों से होता हुआ उसकी गहराई को नापने के लिया फडफडाने लगा था....मैंने उसे बेड की किनारे तक खिंचा और फिर उसके दोनों पैरों को अपने कंधे पे रख कर उसकी चूत को अपने लंड के सामने ला कर अपना लंड उसपे रगड़ने लगा ...और वो जोर से सिसकियाँ लेने लगी और कहने लगी मन प्लीज़ अब और बर्दास्त नहीं हो रहा मुझसे प्लीज़ मन जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल कर मुझे जोर जोर से चोद दो....और मैंने उसकी चूत के छेद पे अपना लंड का सुपाडा रख कर एक जोर का झटका दिया और आधा लंड उसकी चूत की गुलाबी दीवारों के बीच से अपना रास्ता बनता हुआ उसकी चूत की गहराइयों को नापता हुआ आधी दूरी तय कर गया था....

लेकिन वो बहुत जोर से चिल्लाई क्यूंकि 7 - 8 साल से वो अपने पति से अलग रह रही थी और इस बीच शायद उसने सेक्स नहीं किया था इसी वजह से शायद उससे मेरे मोटे लंड की चुदाई बर्दास्त नहीं हुई .....लेकिन आधा लंड घुसाने के बाद मैं रुक गया और उसके होंठों को चूसने लगा और उसकी चुचियों को दबाने लगा तो उसको थोड़ी राहत महसूस हुई और इसी वक़्त मैंने एक जोर का झटका मारा और पूरा का पूरा लंड उसकी गुलाबी चूत को फाड़ता हुआ अन्दर समां गया और उसके बाद रच्चू को भी मज़ा आने लगा और धीरे धीरे उसने हरकत करनी शुरु कर दी और अपने चूतडों को उठा उठा कर चुदाई का मज़ा लेने लगी और कहने लगी मन डार्लिंग मुझे और जोर से चोदो ....हाँ मन प्लीज़ मुझे आज इतना चोदो की मेरी इतने दिनों की प्यास बुझ जाये...इसी बीच में उसने कई बार अपना पानी छोड़ दिया ...और लगभग आधा घंटे की चुदाई के बाद मुझे लगा की मेरे लंड का लावा निकलने वाला है मैंने कहा "रच्चू मेरा निकलने वाला है " तो उसने तुरंत उठ कर मेरे लंड को मुंह में लेकर पहले मुठ मरने लगी और फिर जोर जोर से चूसने लगी और कुछ ही देर में मेरा सारा मॉल निकल गया जिसे उसने बड़े प्यार से चाट लिया .............और उसके बाद हम दोनों ऐसे ही नंगे एक दूसरे से लिपट कर लेटे रहे......और फिर पता नहीं कब हमारी आँख लग गयी और हम सो गए......

और लगभग एक घंटे के बाद मुझे मेरे लंड के पास गर्मी महसूस हुई तो नींद खुल गयी मैंने देखा की रच्चू डार्लिंग मेरे लंड को लोलीपोप की तरह चूस रही थी...मुझे कुछ मीठी मीठी खुशबू भी आ रही थी तो मैंने पूछा ये किस चीज़ की खुशबू आ रही है तो रच्चू ने बताया की किचन में थोडा शहद पड़ा था बस उसे ही तुम्हारे लंड पर लगा कर चूस रही हूँ.....अब तक मेरा लंड भी पूरी तरह तैयार हो चूका था लेकिन मैं इस बार उसकी चूत नहीं चोदना चाहता था असल में मैंने आज तक कभी किसी की गांड नहीं मरी थी सिर्फ ब्लू फिल्मों में ही गांड की चुदाई देखा था और सिर्फ अपने दोस्तों से ही सुना था की गांड मारने में बहुत मज़ा आता है लेकिन आज तक मैं इस ख़ुशी से वंचित था.....तो मैंने मौका देख कर रच्चू से बोला की " रच्चू डार्लिंग क्या तुम मुझे एक बार अपनी गांड चोदने का मौका दोगी " ये सुनकर पहले तो रच्चू के चेहरे का रंग ही उड़ गया बोली " देखो मन डार्लिंग आज करीब पांच सात सालों के बाद मेरी चूत ने किसी के लंड का दर्शन किया है और तुम्हारे इस मोटे लंड ने तो मेरी चूत की चूदाई में ही मेरी जान ही निकाल दी है ....और मैंने आजतक कभी भी गांड नहीं मरवाई है...

इसलिए मुझे डर लग रहा है और बहुत दर्द भी होगा " उसकी ये बात सुनकर मैंने बोला की रच्चू डार्लिंग तुम चिंता मत करो मैं एक दम आराम से गांड मारूंगा और अगर तुम्हे बर्दास्त नहीं होगा तो नहीं चोदुंगा " इस बात पर वो तैयार हो गयी.....और डोगी स्टाइल में मेरे आगे झुक गयी...मैंने भी अपने खड़े लंड के सुपाडे को रच्चू की गांड के छेद पर रख कर अन्दर डालने की कोशिश की लेकिन गांड का छेद बहुत टाईट था और पहला प्रयास बेकार हो गया ....उसके बाद मैंने अपने दोनों हाथों के अंगूठे को गांड के छेद के पास लगा कर छेद को थोडा फैला दिया और उसके बाद अपने लंड के सुपाडे को गांड के छेद में डाल कर चुपचाप शांत हो गया और धीरे धीरे उसको गांड के छेद में फिट करने लगा और जब लंड का सुपाडा पूरी तरह से गांड के छेद में फिट हो गया तो धीरे धीरे लंड को गांड में घुसाने को कोशिश करने लगा लेकिन छेद बहुत छोटा और टाईट था इसलिए लंड एकदम आगे नहीं जा रहा था और रच्चू डार्लिंग को दर्द हो रहा था तो वो चिल्लाने लगी....तो मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया .......

लेकिन तभी मेरी नज़र बगल में रखी शहद की शीशी की तरफ गयी जिसको मेरे लंड पर लगा कर उसने चूसने का मज़ा लिया था...और मेरे दिमाग में आईडिया आया और मैंने उसको दोबारा से डोगी बनने को कहा और शहद लेकर उँगलियों से उसकी गांड के छेद के अन्दर अच्छे से लगा दिया और फिर ढेर सारा शहद लेकर उसकी गांड के छेद पर गिरा दिया और फिर उँगलियों से गांड के छेद को थोडा फैला कर शहद को अन्दर तक अच्छे से लगा दिया और अब धीरे धीरे दो उँगलियाँ डाल कर गांड के छेद को थोडा सा खोल दिया उसके बाद दोबारा लंड के सुपाडे को गांड के छेद में धीरे से सरका दिया और दोनों हाथों से उसके दोनों चूतडों को दोनों तरफ खीच दिया जिससे गांड का छेद थोडा और खुल गया उसके बाद बहुत धीरे से लंड को उसकी गांड में थोडा सा अन्दर की तरफ धकेल दिया लेकिन रच्चू को दर्द हुआ तो उसने अपना हाथ पीछे करके मेरे लंड को पकड़ लिया और पीछे हटने लगी....

और मुझे लगा की अगर अब वो पीछे हट गयी तो मुझे दोबारा गांड को छूने भी नहीं देगी इसलिए मैंने उसकी कमर को अपने दोनों हाथो से जोर से पकड़ लिया और पूरी ताक़त से एक झटका मारा और मेरी हिम्मत ने भी मेरा साथ दिया लंड उसकी गांड को फाड़ता हुआ आधा अन्दर घूस गया लेकिन रच्चू इतने जोर से चिल्लाई की जैसे उसकी जान ही नक़ल गयी हो इसलिए मैंने उसके बाद कोई भी हलचल किया बिना एकदम शांति से वैसे ही खड़ा रहा लेकिन मैंने अपने लंड को भी उसके जगह पे बनाए रखा उसकी कमर को नहीं छोड़ा नहीं तो जितनी जोर से उसने मुझसे अलग होने की कोशिश की थी शायद मेरा लंड बाहर आ जाता और मेरी सारी मेहनत बेकार हो जाती......लेकिन थोड़ी देर के बाद जब मैंने देखा की अब वो रिलेक्स हो गयी है तो पूरी ताक़त से मैंने दूसरा झटका दिया और इस बार मेरा सपना सच हो गया मेरा पूरा लंड उसकी मस्त गांड के अन्दर आराम फरमा रहा था........अब तो उसे भी मज़ा आने लगा था जिसके इशारा उसने अपनी गांड को आगे पीछे हिला के किया .....उसके बाद मैंने अपने लंड को थोडा सा बाहर निकला और फिर धीरे धीरे अन्दर को धकेला .....उसके बाद रच्चू ने बोला " मन डार्लिंग प्लीज़ जोर जोर से चोदो न .........आज मेरी गांड को भी चोद चोद के शांत कर दो..... ....और जोर से झटके मरो न ..........."

और मैं भी पूरे तन मन से उसकी गांड की चुदाई में लगा हुआ था लगभग आधे घंटे की चुदाई के बाद मेरे लंड से दुबारा लावा फूटने को था सो मैंने कहा की मेरा निकलने वाला है तो उसने कहा की जल्दी से अपना लंड निकाल कर मेरे मुह में डाल दो लेकिन जैसे ही मैंने उसकी गांड से अपना लंड बाहर निकाला और उसके मुह के तरफ ले जाने लगा तभी सारा माल निकल गया और उसकी चूचियों पर गिर गया .....बाद में उसने तौलिये से साफ किया और मेरे लंड की भी सफाई की .....उसके बाद हम दोनों ने बाथरूम में जा कर एक साथ नहाया और फिर रात का खाना बाहर एक होटल में खाया और फिर आकर सो गए .................रच्चू दो दिन तक वड़ोदरा में मेरे साथ रुकी मैंने उसे वड़ोदरा शहर घुमाया और इस दौरान हमने कई बार सेक्स किया और दो दिन के बाद मैंने उसको वापस वड़ोदरा स्टेशन से दिल्ली की ट्रेन में बिठा दिया....जाते वक़्त उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कराहट थी जिसमे संतुष्टि भी झलक रही थी.......