माम के साथ तीन दिन
प्रेषिका : स्तुति शर्मा
मेरा नाम अरुण है। मेरे दफ़्तर में एक माम नाम की लड़की थी। वो सच मेंबला की खूबसूरत थी। जब से वो मेरे दफ़्तर में काम करने के लिए आई, मैंतो बस उसको ही देखता रहता था। उसकी फ़ीगर कमाल की थी और लम्बेलम्बे बाल थे। उसके बड़े बड़े बूब्स देख कर तो मैं पागल ही हो जाता था औरहर वक्त सोचता रहता था कि कब मैं इन बूब्स को चूस पाऊंगा। मैं अपनेकेबिन से छिप छिप कर उसको देखता रहता और उसके साथ सेक्स करने केसपने देखता रहता था। उसने भी मेरी यह बात पकड़ ली थी मैं उसको देखतारहता हूँ लेकिन उसने कभी कुछ नहीं कहा। शायद वो भी मेरी तरफ़ आकर्षितथी।
लेकिन एक दिन ऐसा हुआ कि मेरे सारे सपने सच हो गए।
हुआ यूं कि एक दिन माम मेरे केबिन में आई और उसने मुझे कहा कि उसेवेतन के अलावा कुछ और पैसों की जरूरत है और वो ये पैसे धीरे धीरे वापिसकर देगी। लेकिन मैं उसके साथ सेक्स करना चाहता था इसलिए मैंने उसेकहा कि अगर वो मुझ पर विश्वास करती है तो मैं उससे अकेले में मिलनाचाह्ता हूं।
वो मान गई। मैंने उसे घर आने को कहा और कहा कि पैसे मैं घर पर ही देदूंगा। अगले तीन दिन के लिए दफ़्तर बंद था और मेरे घर वाले भी बाहर गएहुए थे इसलिए मैंने उसे अगले दिन सुबह घर पर बुला लिया।
अगले दिन जब वो घर आई तो उसने जीन्स और शर्ट पहनी हुई थी औरबाल खुले हुए थे। उस वक्त वो कयामत लग रही थी। उसे देख कर मेरा लण्डएक दम से खड़ा हो गया। मैंने बड़ी मुश्किल से अपने आप को सम्भाला औरउसे अपने बेडरूम में ले गया। मैं बस तरीका सोच रहा था कि किस तरह सेमैं उसको चोदूं ! तब मैंने उसको अपने पास बुलाया और उसके हाथ अपनेहाथों में ले कर कहा," माम, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ."
उसने यह सुन कर कहा कि वो मुझ से प्यार करती है. यह सुन कर मेरीख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा और मैंने उसे अपनी बाँहों में जकड लिया। उसकेबूब्स मेरी छाती से छू रहे थे और मैं और ज़्यादा पागल हो रहा था मैंने उसेअपनी गोद में बिठा लिया और उसके चेहरे को अपने हाथों से सहलाने लगा.अब मैं उसको अपने और करीब ले कर आया और अपने होंठो को उसके होंठोंपर रख कर चूमने लगा। मैं बड़े प्यार से उसके होंठों को चूम रहा था और वोभी इसका मजा ले रही थी।
काफ़ी देर तक चूमने के बाद मैं उसके पूरे चेहरे पर चूमने लगा उसके गालोंपर, उसकी गर्दन पर। फिर मैंने उसकी शर्ट का पहला बटन खोला वो एकदम से बोली यह क्या कर रहे हो, मैंने कहा हम एक दूसरे से प्यार करते हैंइसलिए इसमें कोई बुराई नहीं है, यह बोलते बोलते मैंने उसकी शर्ट के तीनचार बटन खोल दिए। अब मुझे उसकी ब्रा नज़र आ रही थी और ब्रा में बंदउसके बड़े बड़े बूब्स बाहर निकलने को तड़प रहे थे।
मैंने उसकी शर्ट उतार दी और वो ब्रा में तो कयामत लग रही थी। तब उसकाध्यान मेरे लंड पर गया जो बहुत खड़ा हो चुका था और उसे बार बार चुभ भीरहा था।
मैंने कहा- इसे देखना चाहोगी?
तब उसने मेरी पैंट का बटन खोल कर मेरी पैंट और मेरा अंडरवियर भी उतारदिया और मेरे लंड को ले कर जोर जोर से मसलने लगी। तब वो मेरा लंडअपने मुंह में ले कर उसे चूसने लगी। उसके चूसने से मेरा लंड और भी बड़ाहो गया। उसे मेरे लंड को चूसने में और उसके साथ खेलने में बड़ा मज़ा आरहा था लेकिन मुझ से कंट्रोल नहीं हो रहा था इसलिए मैंने उसे उठा करउसकी पैंट भी उतार दी। उसने पिंक कलर की पैंटी पहनी हुई थी। वोह सिर्फ़ब्रा और पैंटी में मेरे सामने खड़ी थी, मैं अपने पर कंट्रोल नहीं कर पा रहा थाऔर मैं उसको पागलों की तरह चूमने लगा।
मैंने उसको उल्टा किया और अपने मुंह से उसकी ब्रा के हुक खोल दिए। अबवो भी तड़प रही थी चुदवाने के लिए। उसके बूब्स को देख कर मेरा लंड ज़ोरज़ोर से झटके खाने लगा तब सबसे पहले मैंने उसके निप्पल को चूपा। उसकेनिप्पल भी बड़े सखत हो रखे थे और मुझे भी उन्हें चूपने का बड़ा मज़ा आरहा था।
वो भी बहुत तड़प रही थी और बार बार बोल रही थी- और ज़ोर से, और ज़ोरसे.
फिर मैं उसके बूब्स को दोनों हाथों से ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा और वो चीखनेलगी फिर मैंने उसकी पैंटी को अपने दांतों से खींच कर उतार दिया। मेरे इसतरह करने से वो और ज़्यादा तड़पने लगी। तब मैंने उसकी चूत को देखा,उसकी चूत पर बाल नहीं थे और उसकी चूत बहुत मस्त लग रही थी। उसकीचूत को देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया और मैं उसकी चूत को चाटनेलगा। माम ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी आ आ आ आ ओ ऊ ऊ ओ ओ करनेलगी
थोडी देर तक उसकी चूत चाटने के बाद मैंने देखा की वो बहुत गरम हो चुकीथी लेकिन मैं उसको और गरम करना चाहता था इसलिए अब मैं अपने लंडको उसके पूरे बदन पर घुमाने लगा, पहले उसके चेहरे पर अपने लंड कोलगाया फिर उसकी गर्दन पर, फिर उसके बूब्स पर, उसके निप्पल पर,उसके बूब्स के बीच में अच्छी तरह मैं अपने लंड को लगा रहा था। मेरे लंडसे जो पानी निकल रहा था वो भी उसके पूरे बदन पर लग रहा था जिससे वोऔर ज़्यादा गरम हो रही थी। मैंने अपने लंड को उसके बूब्स के बीच मेंअच्छी तरह दबा दिया वो भी मेरे लंड को अपने बूब्स में रख कर ज़ोर ज़ोर सेदबाने लगी।
तब उसने मुझसे कहा- अरुण, अब और सहा नहीं जा रहा इस लंड को मेरीचूत में डाल कर मेरी प्यास शांत कर दो।
मैं नीचे लेट गया और माम मेरे ऊपर बैठ गई उसने मेरा लंड पकड़ा औरपहले अपनी चूत पर घिसने लगी फिर मैंने एक झटके से अपना लंड उसकीचूत में डाल दिया मेरे लंड डालते ही माम ज़ोर से चीखी। मेरा लंड उसकी चूतके अन्दर था और माम ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी। वो ज़ोर ज़ोर से हिल रहीथी और मैं कभी उसके बूब्स को दबा रहा था और कभी उसके निप्पल कोचूप रहा था। थोड़ा देर बाद हम दोनों झड़ चुके थे।
फिर थोडी देर बाद हम दोनों बाथरूम में गए और इक्कठे नहाते वक्त एकबार फिर सेक्स किया। वो तीन दिन माम मेरे साथ ही रही और हमने उनतीन दिनों में कई बार सेक्स किया, कभी बाथरूम में, कभी किचन में, कभीसीढियों में, कभी डाइनिंग टेबल पर और कभी ज़मीन पर। वो तीन दिन मेरीजिंदगी के सबसे खूबसूरत दिन थे।
अगर आपको माम के साथ मेरा ये किस्सा पसंद आए तो ज़रूर बताएं ताकिमैं माम के साथ और किस्से भी आपके साथ बाँट सकूं. मुझे ज़रूर बताएं किआपको मेरा ये किस्सा कैसा लगा
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